
वित्त वर्ष 2024-25 के लिए इनकम टैक्स (Income Tax) विभाग की ओर से सभी आईटीआर (ITR) फॉर्म जारी कर दिए गए हैं और टैक्सपेयर (Taxpayer) अब अपनी टैक्स रिटर्न फाइलिंग की प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं। लेकिन इस साल आईटीआर फाइलिंग के दौरान कुछ महत्वपूर्ण नियमों में बदलाव को ध्यान में रखना बेहद जरूरी है। दरअसल, बीते साल सरकार ने इनकम टैक्स से जुड़े 5 बड़े नियमों में संशोधन किया था, जो अब इस बार की फाइलिंग प्रक्रिया के दौरान प्रभावी रहेंगे।
ये बदलाव खासकर उन लोगों के लिए अहम हैं जो न्यू टैक्स रिजीम (New Tax Regime) को अपनाते हैं। अगर आप नौकरीपेशा हैं, इन्वेस्टमेंट करते हैं या फिर म्यूचुअल फंड्स व शेयर बाजार में पैसा लगाते हैं, तो ये जानकारी आपके लिए जरूरी है। आइए जानते हैं विस्तार से इन बदलावों को जो आईटीआर फाइलिंग के वक्त आपकी प्लानिंग को प्रभावित कर सकते हैं।
न्यू टैक्स स्लैब (New Income Tax Slab) में हुआ बदलाव
सरकार ने नए इनकम टैक्स रिजीम को आकर्षक बनाने के लिए टैक्स स्लैब्स में संशोधन किया है। इस बार नए स्लैब के तहत टैक्सपेयर्स को ₹17,500 तक की टैक्स बचत हो सकती है। नए स्लैब में 0 से 3 लाख तक की इनकम पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। वहीं, ₹3 से ₹6 लाख पर 5%, ₹6 से ₹9 लाख पर 10%, ₹9 से ₹12 लाख पर 15%, ₹12 से ₹15 लाख पर 20% और ₹15 लाख से ऊपर की इनकम पर 30% टैक्स लागू होगा।
इस नए स्लैब का मकसद टैक्स स्ट्रक्चर को सरल बनाना और मध्यमवर्गीय टैक्सपेयर्स को राहत देना है। हालांकि, टैक्सपेयर्स को यह विकल्प भी रहेगा कि वे पुराने टैक्स रिजीम को अपनाएं या नए को।
स्टैंडर्ड डिडक्शन (Standard Deduction) की सीमा बढ़ाई गई
नए टैक्स रिजीम में सबसे बड़ी राहत स्टैंडर्ड डिडक्शन से जुड़ी है। पहले तक नए टैक्स सिस्टम में यह सुविधा नहीं थी, लेकिन अब इसे जोड़ा गया है और इसकी सीमा भी बढ़ाई गई है। नौकरीपेशा लोगों के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन को ₹50,000 से बढ़ाकर ₹75,000 कर दिया गया है। वहीं, फैमिली पेंशन पाने वालों के लिए यह ₹15,000 से बढ़ाकर ₹25,000 कर दिया गया है।
इससे टैक्सपेयर्स की टैक्सेबल इनकम घटेगी और वे अधिक बचत कर सकेंगे। यह बदलाव खासतौर पर मिडिल क्लास को राहत देगा।
कॉरपोरेट एनपीएस (Corporate NPS) डिडक्शन सीमा में बदलाव
नए टैक्स रिजीम के तहत कॉरपोरेट सेक्टर में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए NPS में डिडक्शन की सीमा को भी बढ़ाया गया है। सेक्शन 80CCD(2) के तहत कंपनी द्वारा कर्मचारी के एनपीएस अकाउंट में किए गए योगदान पर पहले 10% तक की छूट मिलती थी, जिसे अब बढ़ाकर 14% कर दिया गया है।
इस बदलाव से निजी क्षेत्र के कर्मचारी भी अब सरकारी कर्मचारियों जैसी छूट का लाभ उठा सकेंगे। यह रिटायरमेंट प्लानिंग को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
कैपिटल गेन टैक्स (Capital Gain Tax) के नियमों में बदलाव
शेयर बाजार और म्यूचुअल फंड्स में निवेश करने वालों के लिए भी इस साल आईटीआर फाइलिंग के वक्त नए नियम लागू होंगे। इक्विटी और म्यूचुअल फंड्स से हुए शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG) पर अब 20% टैक्स लगेगा, जो पहले 15% था। वहीं, गोल्ड, प्रॉपर्टी या अन्य असेट्स से हुए शॉर्ट टर्म गेन पर टैक्स आपकी इनकम स्लैब के अनुसार लगेगा।
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) पर टैक्स दर को 10% से बढ़ाकर 12.5% कर दिया गया है। इसके साथ ही LTCG की टैक्स छूट सीमा को भी ₹1 लाख से बढ़ाकर ₹1.25 लाख कर दिया गया है। इन बदलावों से टैक्स प्लानिंग में फर्क आएगा, खासकर उन लोगों के लिए जो लंबे समय के निवेश में रुचि रखते हैं।
कैपिटल गेन के लिए होल्डिंग पीरियड में बदलाव
सरकार ने कैपिटल गेन से जुड़े होल्डिंग पीरियड की परिभाषा में भी बदलाव किया है। अब सभी लिस्टेड सिक्योरिटीज के लिए अगर होल्डिंग पीरियड 12 महीने से अधिक है, तो उसे लॉन्ग टर्म माना जाएगा। अन्यथा वह शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन की श्रेणी में आएगा।
वहीं, नॉन-लिस्टेड सिक्योरिटीज (जैसे कि प्राइवेट कंपनियों के शेयर्स) के लिए यह अवधि 24 महीने रखी गई है। यानी अगर आप दो साल से ज्यादा समय तक इन्हें होल्ड करते हैं तभी यह लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन माना जाएगा।